19 मार्च 2015

'साहित्य, समाज और संस्कृति' विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी

 

राष्ट्रीय संगोष्ठी
साहित्य, समाज और संस्कृति
दिनांक : ०४-०५ अप्रैल २०१५
आयोजन स्थल : स्वामी विवेकानंद सभागार, वी आई पी रोड, फतेहपुर (उ.प्र.) २१२६०१ 

साहित्य को समाज का दर्पण कहा जाता है. किसी भी समाज के साहित्य को पढ़कर उसके परिवेश का अध्ययन किया जा सकता है. संस्कृति के आभाव में सभ्य-समाज की कल्पना भी नही की जा सकती. कहने का तात्पर्य यह है कि साहित्य, समाज और संस्कृति तीनों परस्पर अन्योन्याश्रित हैं. आदर्श संस्कृति के अभाव में आदर्श साहित्य का सृजन आसान नहीं है, और आदर्श समाज की स्थापना के लिए आदर्श साहित्य का सृजन आवश्यक है.
'मधुराक्षर' पिछले सात वर्षों से 'समाज, साहित्य और संस्कृति के प्रति पूरी तरह से समर्पित है और सृजनात्मक कार्यों के द्वारा समाज को विमर्श के साथ आत्म-मंथन हेतु प्रेरित करती रही है. उक्त राष्ट्रीय संगोष्ठी एक कदम है- अपने 'समाज, साहित्य और संस्कृति को निकट से जानने-समझने; विमर्श के माध्यम से चिंतन-मनन कर समाज के प्रति अपने दायित्व-बोध को स्वीकारने का.
इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में ख्यातिलब्ध साहित्यकार, प्राध्यापक, शोधार्थी, विद्यार्थी एवं समाजसेवी अपने शोधपरक विचारों-अनुभवों को साक्षा करेंगे, जिससे 'समाज, साहित्य और संस्कृति' में निरंतर हो रहे परिवर्तनों के सकारात्मक व नकारात्मक दोनों पहलुओं को अच्छी तरह समझकर हम सभी अपने सामाजिक दायित्व से परिचित हो सकेंगे.
संगोष्ठी में देश के विविध राज्यों/शहरों से साहित्यकार-लेखक तो उपस्थित होंगे ही; साथ ही लगभग १५ विश्वविद्यालयों से अनुमानतः २००-३०० प्रतिभागी (प्रोफ़ेसर, प्राध्यापक, शोधार्थी) उपस्थित रहने की सम्भावना है.
संगोष्ठी में विचार किये गए विविध बिन्दुओं पर आधारित लेखों-शोधपत्रों का प्रकाशन आईएसबीएन पुस्तक के रूप में कर उसे विश्विद्यालय अनुदान आयोग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सर्कार सहित विविध पुस्तकालयों में भेजा जायेगा; जिससे संगोष्ठी में हुए विमर्श व उसके परिणामों को प्रसारित किया जा सके. इससे 'साहित्य, समाज और संस्कृति के क्षेत्र में कार्य करने वालों के लिए नए मार्ग खुलेंगे और एक आदर्श समाज की स्थापना में हम सबका योगदान होगा; ऐसा विश्वास है.

बृजेन्द्र अग्निहोत्री
संगोष्ठी निदेशक




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