16 मार्च 2009

फतेहपुर :हरियाली उस गति से नहीं बढ़ रही जितनी खत्म हो रही

 

जनपद में वनों के नाम पर बहुत ज्यादा हरियाली नहीं है कुल वन क्षेत्र में भी ऊसर प्रभावित क्षेत्र की ही बहुलता है। जिले का वन विभाग लाख हाथ पांव मारने के बाद भी हरियाली को बढ़ा पाने में नाकाम ही है साथ ही यह भी उल्लेखनीय है कि वन विस्तार के प्रति जिले की जनता में जागरूकता का अभाव है। विभाग द्वारा आयोजित की जाने वाली गोष्ठियों में आमजन की मौजूदगी का मानक पूरा नहीं हो पाता तो विभाग भी साल भर के अपने वृक्षारोपण के लक्ष्य के बड़े हिस्से को दूसरे विभागों या संस्थानों के नाम कर निश्चिंत हो लेता है। 
जिले के कुल क्षेत्र फल के विरूद्ध वन विस्तार नाम मात्र का है। इसके प्रमुख कारणों में एक महत्वपूर्ण घटक आम जन की रूचि वन विस्तार के प्रति नहीं हैं। वन विभाग के माध्यम से हुये वृक्षारोपण के संरक्षण के लिये जागरूकता का अभाव इस कदर है कि शहरी हो या ग्रामीण लोग अपने गांव, घर, गली या क्षेत्र में लगाई गयी पौध को नष्ट होते देखते रहते हैं किंतु उसकी सुरक्षा के लिये संवेदना किसी के दिल में नहीं पैदा होती है। जनपद के कुछ क्षेत्र में पिछले दशक में कई जगह के लोगों में व्यवसायिक दृष्टि से उपयोगी फलदार वृक्षारोपण किया है पर यह सीमित ही है। वन विभाग के क्षेत्र पर नजर डाली जाये तो एसडीओ बीके सिंह के मुताबिक हमारे पास 7112 हेक्टे. कुल वन क्षेत्र इसमें मानिकपुर गलाथा रेंज के 561 हेक्टे. क्षेत्र को छोड़ दिया जाये तो इसमें मानिकपुर गलाथा रेंज के 561 हेक्टे. क्षेत्र को छोड़ दिया जाये तो बाकी वन क्षेत्र ऊसर प्रभावित है जहां हर तरह के वृक्षारोपण में सफलता नहीं पाई जा सकती है। बड़ा वन क्षेत्र न होने की यह सच्चाई है तो यह भी एक हकीकत की वन विभाग को जो लक्ष्य वार्षिक वृक्षारोपण के तहत दिया जाता है उसे विभागीय लोग रेवड़ी की तरह बाटते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर शासन से जिले में वार्षिक लक्ष्य 40 लाख पौध लगाने का है तो इसमें यह खेल कर दिया जाता है जैसे कि लक्ष्य का कुछ हिस्सा ग्राम पंचायतों के नाम तो कुछ परिषदीय विद्यालयों के खाते में दर्ज हो जाता है। मिले काम में अब ग्राम पंचायतों में खेल होता है। प्रधान जी भी गांव में बिरवे न खोंसवा कर नर्सरी के साथ डील कर लेते हैं। अपना हिस्सा लेकर नर्सरी वाला रसीद दे देता है, लग गये पेड़। उसी तरह मास्टर साहब भी पौध स्कूल में न लगवा कर कई बार पढ़ने वालों के हाथों में थमा देते हैं तो कई बार कुछ और करते हैं। इसी तरह के कमाल उन विभागों या संस्थानों द्वारा भी किये जातें हैं जिन्हें वृक्षारोपण का लक्ष्य दिया जाता है। वन विभाग भी नोडल विभाग के तौर पर काम की उचित देख रेख नहीं करता है। 

प्रतिवर्ष शासन द्वारा जितना लक्ष्य दिया जाता है अगर उसे पूरा कर लिया जाये कुछ ही सालों में जिला हरा भरा हो जायेगा। पर दिक्कत यह है कि यह हरियाली अगर फैल जायेगी तो इस हरियाली के नाम पर हरे हो रहे व्यक्तियों, संस्थाओं की हरियाली सूख जायेगी। 
कठिनाई 
 जिले में जंगल नष्ट हो रहा है। हरियाली उस गति से नहीं बढ़ रही जितनी खत्म हो रही है। वन माफिया सक्रिय है। वन विभाग अपनी ड्यूटी को ठीक से अंजाम नहीं दे पा रहा है। पर इस विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों के सामने भी मूलभूत कठिनाइयां हैं। जिनके बने रहते काम ठीक से अंजाम दे पाना संभव भी नहीं दिखता है। वन विभाग से अच्छे काम की दरकार है पर यहां स्टाफ तक महीनों से पूरा नहीं हो पा रहा है। विभागीय कर्मचारियों के पास वर्दी तक नहीं है। दूसरी कई अन्य दिक्कतों के वाहन की उपलब्धता न हो पाना भी मुश्किलें खड़ी कर देता है। 
चुनौती
वन विभाग के अधिकारियों के समक्ष जनपद के ऊसर प्रभावित क्षेत्र में हरियाली फैलाने की चुनौती है। विभाग के सामने वन सम्पदा की रक्षा करने की दूसरी सबसे बड़ी चुनौती है। वन विभाग के अधिकारियों के पास वन सम्पदा को हानि पहुंचाने वाले के विरुद्ध कोई बड़ा अधिकार न होने से भी परेशानी खड़ी होती है। इसी के साथ अगर अधिकारी किसी वन माफिया को वन नष्ट करने के आरोप में कार्यवाही करे तो होने वाली सिफारिशों से पार पाने की भी चुनौती भी इनके सामने होती है। इन सभी चुनौतियों से जूझते हुए वन विभाग के सामने जनपद वासियों के अंदर वानिकी के प्रति उत्साह जागरुकता और रुचि उत्पन्न करने की है। 
यह रहा हासिल
वर्ष 2008-09 में निर्धारित 470 हे. लक्ष्य के विरुद्ध 793.18 हे. क्षेत्र में वृक्षारोपण किया गया। फरवरी 2009 तक विभिन्न योजनाओं ने 1.28 लाख मानव दिवस रोजगार सृजित हुए। वर्ष 2008-09 हेतु राजस्व प्राप्ति के 44.25 लाख लक्ष्य के विरुद्ध फरवरी 2009 तक 76.00 लाख राजस्व अर्जित हुआ। वन विभाग ने पर्यावरण जागरुकता अभियान के अंतर्गत ब्लाक स्तर पर तेरह गोष्ठियां आयोजित कर ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यावरण संरक्षण और वृक्षारोपण के प्रति जागरुकता पैदा की। जिला स्तर पर वन विकास अभिकरण का गठन कर 49 ग्राम वन समितियों के माध्यम से वृक्षारोपण की पहल की जायेगी। 
आज तो यह करें
आज विश्व वानिकी दिवस है। सवेरे से यह खबर पढ़ते समय तक आपने कई काम किये होंगे। आज वानिकी दिवस के मौके पर एक काम ऐसा भी करें जो थोड़ी देर, थोड़ी संतुष्टि, थोड़ी प्राप्ति का न हो बल्कि यह काम ऐसा हो जो आपके कर देने के बाद, आपके बाद भी सुखद परिणाम देते रहने वाला हो .. आज एक ऐसा बीमा करें जो एक बार कर देने के बाद सदैव देते रहने वाला हो .. तो आज अपने प्यारे प्राइमरी के मास्टर के आग्रह, आह्वान, मनुहार पर एक काम यह करें कि एक पौधा रोप दें, आज एक पुण्य रोप दें जो आपके साथ इस समाज, इस पर्यावरण, प्रकृति के लिए भी स्वर्ग सा परिणामदायी है।

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2 टिप्‍पणियां:
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  1. भारत मै अगर ऎसा ही चलता रहा तो, ना यह भू माफ़िया रहेगा, ना यह भर्ष्ट ओर बेईमान अधिकारी ओर नाही हम तुम यानि फ़िर तबाही पक्की है.
    काश इन लोगो को थोडी सी भी अकल आ जाती, बहुत ही सुंदर लीका आप ने.
    धन्यवाद

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