1 फ़र॰ 2009

कागज काला, दीवारें काली ऐसे फैल रही हरियाली

 

जिले में हर उस जगह पेड़ लगे हैं जहां इन्हें होना चाहिये, सरकारी लक्ष्यों के मुताबिक वृक्षारोपण किया जा चुका है। वन विभाग के अधिकारी, कर्मचारी आत्म संतुष्टि के आलम में हैं कि काम पूरा हुआ। इन पंक्तियों को पढ़ते हुए चौंकिये नहीं यह सारा काम कागजों पर ही संपन्न हुआ समझिये। बसंत अगर वीराना दिख रहा है तो दोष आपकी आंखों का नहीं, यह खुली अकर्मण्यता है वन विभाग की।

  • धरती को हरा बनाना है वन विस्तार बढ़ाना है ।
  • आओ धरती को हरा बनायें ।
  • वृक्ष धरा के भूषण हैं करते दूर प्रदूषण हैं ।

जैसे नारों से जिले भर में दीवारें काली हो रहीं हैं और हरियाली बिखरी पड़ी है विभाग के कागजों में।

जिले की जमीन को हरा भरा बनाने का दम भरने वाला वन विभाग के अधिकारी आलस के अधीन हैं। देख लें हर उस जगह को जहां छह महीने पहले विभाग ने सरकारी मजबूरी के तहत जो पेड़ लगाये थे वह सब प्यासे रहकर प्राण गवां बैठे पर प्यासे पौंधों पर तरस नहीं आया इन लगाने वालों को। उस पर विभाग का तुर्रा यह कि लगाने के बाद पौध संरक्षण की हमारी जिम्मेदारी है जिसे मनोयोग से पूरा करते हैं। पौधों की सुरक्षा के लिये बनाया गया ईटों का घेरा रखरखाव के अभाव में बेकार हो गए है। सड़क किनारे लगे ट्री गार्ड के पौधे सूख रहे हैं। पौध को जानवर नष्ट कर रहे हैं। लगाये गये लाखों पौधे अव्यवस्था की भेंट चढ़ गये।


कागज काला, दीवारें काली;

ऐसे फैल रही हरियाली

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